महुआडांड़ में मसीह विश्वासीओ ने ईस्टर (पास्का) परंपरागत तरीके से मनाया 

संवाददाता

महुआडांड़/लातेहार : महुआडांड प्रखंड भर में रविवार ईस्टर(पास्का) का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया गया।इस अवसर पर संत जोसेफ बड़े गिरजाघर समेत महुआडांड़ के अन्य पल्लीयो में विशेष मिस्सा पूजा, बाइबल पाठ और अनुष्ठान की गई।संत जोसेफ बड़े गिरिजाघर में मुख्य अनुष्ठानकर्ता मनजीत लकड़ा थे।इस मौके पर फादर मनजीत ने कहा कि ईस्टर(पास्का) पर्व हमारे लिए आस्था और विश्वास का पर्व है।इस दिन प्रभु यीशु ने पाप, दुख और तकलीफ से पार पाया।प्रभु यीशु ने अपने बहुमूल्य जीवन को लोगो की भलाई और खुशी के लिए कुर्बान कर दी और मृत्यु के तीसरे दिन पुन: जी उठे।ईस्टर के मौके पर गिरजाघरो मे फादर रौशन, फादर बरथोलोमी समेत मसीह विश्वासी उपस्थित रहे।

 

ईस्टर अंधकार से प्रकाश में आना : फा.सुरेश

 

ईस्टर रविवार मिस्सा के दौरान अपने संदेश में मुख्य फादर सुरेश ने कहा कि प्रभु यीशु पुण्य शुक्रवार क्रूस पर अपना बलिदान देकर समस्त मानव जाति को उसके पापों से उद्धार किया।उनका यह बलिदान ईश्वर के प्रति सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है।रविवार की रात वह जी उठे । इसी याद में ईस्टर मनाया जाता है।यह ज्योति का पर्व है।मृत्यु के बाद जीवन है।क्योकि प्रभु यीशु प्रकाश की तरह पुन: जी उठे थे।हम रात्रि जागरण मिस्सा के माध्यम से ज्योति (मोमबत्ती) जलाकर ज्योति की गुनगान करते हैं।ईस्टर का शाब्दिक अर्थ है गुलामी से आजाद होना, अंधकार से प्रकाश में आना।

 

समाज से जुड़कर करें सेवा

 

इस मौके पर फादर बार्थो ने विश्वासीयो के बीच अपने संदेश में कहा कि जिस प्रकार ईश्वर ने प्रभु यीशु के क्रूस पर बलिदान से मनुष्यों को अपने से जोड़ने का काम किया।प्रभु यीशु काफी दुख तकलीफ सहे.क्रूस मृत्यु से उन्होंने समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार किया। आज हमें प्रभु की उपासना के साथ यह संकल्प लेने की आवश्यकता है ,कि हम आपस के झगड़े- झंझट, ईष्या-द्वेष आदि कुरीतियों को भूलकर समाज सेवा का कार्य करें। कोयल दल व नाच दल में बरटोली गांव के युवा युवती सहित महिला-पुरुष भाग लिए। मिस्सा का संचालन हेड प्रचार आनंद व सिस्टर स्वाति का योगदान सराहनीय रहा।

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